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गोंद सियाह से मिल सकता है सालों पुराने जोड़ों के दर्द में आराम : डॉक्टर भी हैं हैरान।

गोंद सियाह से मिल सकता है सालों पुराने जोड़ों के दर्द में आराम : डॉक्टर भी हैं हैरान।

New Delhi, India 6 July, 2024

जयपुर विधानसभा के सामने कच्ची बस्ती में रहने वाले दत्ता जी की दर्द भरी कहानी।

दत्ता जी एकदम सरल स्वभाव के धनी व्यक्ति हैं और सादगीपूर्ण तरीके से अपना जीवन व्यतीत करते हैं। सादा जीवन ही उनकी पहचान है। हर तरह से जिंदगी से परेशान होने के बावजूद इनके चेहरे पर शालीनता नजर आती है। जिंदगी में आई हर मुश्किल घड़ी का दत्ता जी डटकर सामना करते हैं। इनका स्वभाव इतना सरल है की इंटरव्यू में अपनी कहानी बताते समय इनकी आँखों से आँसू गिरने लगे थे। नीचे दी गई वीडियो की लिंक पर क्लिक करके आप दत्ता जी को सुन सकते हैं।

दोस्तों जीवन में परेशानियों का आना – जाना तो लगा ही रहता है लेकिन उन परेशानियों का सामना करना ही जिंदगी है। आजकल लोग जीवन में छोटी सी समस्या आने पर ही जिंदगी से परेशान हो जाते हैं लेकिन न जाने कितने लोग ऐसे हैं जिनकी समस्या को अगर आप सुनेंगे तो आपको अपनी समस्या सुई की नोंक से भी छोटी लगने लगेगी। जी हाँ दोस्तों, आज हम आपको जयपुर में फुटपाथ पर रेहड़ी की दुकान लगाने वाले दत्ता जी की दर्द भरी कहानी से अवगत कराने जा रहे हैं। एक रेल हादसे में दोनों पैर कट जाने के बाद दत्ता जी की जिंदगी में मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो। दोनों पैर गँवाने के बाद हमेशा बैठे रहने की वजह से दत्ता जी को कमर की दिक्कत हो गयी जिसके बाद दत्ता जी की जिंदगी बद से बदतर होती चली गई। कई सवाल दत्ता जी के मन में उठने लगे थे। जिंदगी से पूरी तरह से परेशान होने के बावजूद दत्ता जी ने अपने जीवन में हार नहीं मानी। दोस्तों दत्ता जी की उम्र 45 साल है। इनकी शादी भी नहीं हुई है। दत्ता जी अपने गुजारे के लिए किसी से मदद लिए बिना अपने सारे काम खुद करते हैं। आइए जानते हैं क्या है दत्ता जी की दुखभरी कहानी।

एक हादसे ने बदली जिंदगी, ऊपर से कमर में असहनीय दर्द, जानिए कैसे काट रहे हैं दत्ता जी अपनी जिंदगी।

दत्ता जी अपने परिवार के साथ पुणे, महाराष्ट्र में रहते थे। परिवार में इनके माता-पिता, बहन-भाई सभी थे और एक खुशहाल जिंदगी जी रहे थे। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन शायद कुदरत को ये मंजूर नहीं था और न ही दत्ता जी को पता था की उनके जीवन में इतना बड़ा मोड आने वाला है।

परिवार की जिम्मेदारियाँ उठाने वाले दत्ता जी बने परिवार के लिए बोझ।

एक दिन दत्ता जी सुबह-सुबह अपने घर से निकलकर 11 बजे तक रेलवे स्टेशन पहुंचे। ट्रेन के आने का समय हो चला था, लोग ट्रेन के आने के इंतजार में थे। स्टेशन पर कोई हलचल नहीं थी सब कुछ सही चल रहा था। थोड़ी ही देर में ट्रेन आने वाली थी। ट्रेन आयी और चली गई लेकिन इसी बीच यात्रियों के चढ़ते और उतरते समय एक हादसा हुआ। दत्ता जी इस हादसे की चपेट में आ गए और इनके दोनों पैर कट गए। पुलिस को इन्फॉर्म किया गया पुलिस आयी और इन्हें अस्पताल ले गई। दत्ता जी को जब होश आया तो इनके दोनों पैर कट चुके थे। ये खबर जब इनके घर वालों को पता चली तो ऐसी हालत हो गई मानो इनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट चुका हो।

इस हादसे के बाद दत्ता जी अपने ही परिवार के लिए बोझ बन चुके थे। परिवार की जिम्मेदारियाँ उठाने वाले दत्ता जी अब अपनी किस्मत को कोसने, रोने और दर्द सहने के अलावा अब कुछ नहीं कर सकते थे। कई सालों तक इनकी जिंदगी इसी तरह चलती रही। खाने-पीने और बेड पर लेटे रहने के अलावा दत्ता जी के पास और कोई काम नहीं था। लेकिन कोई कब तक इन्हें इस तरह से खिलाता रहेगा? ये सवाल इनके दिमाग में चल रहा था। इसी बीच एक दिन सन 2012 में टीवी देखते समय इन्हें जयपुर की एक सरकारी संस्था के बारे में पता चला जो विकलांग लोगों को नकली पैर लगाकर उनकी मदद करती है, दत्ता जी ने इस संस्था से कान्टैक्ट किया और जयपुर पहुँच गए। संस्था ने इनकी मदद की, नकली पैर लगवाए और एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए व्हीलचेयर भी उपलब्ध करायी। अब दत्ता जी को अपनी जिंदगी आसान लगने लगी और जिंदगी जीने की एक नई उम्मीद जागी।

दत्ता जी ने कुछ पैसे जुटाए और अपनी जिंदगी का गुजारा करने के लिए फुटपाथ पर सामान बेचना शुरू कर दिया। सुबह के 8 बजे से लेकर रात के 8 बजे तक दुकान चलाने लगी और जयपुर विधानसभा के सामने कच्ची बस्ती में किराये का एक कमरा लेकर रहना शुरू कर दिया। इस कमरे के ऊपर टीन की छत थी, इसी एक छोटे से कमरे में रहते थे और इसी में दुकान का सारा सामान रहता था।

अपने कमरे में नकली पैर दिखाते हुए दत्ता जी

दत्ता जी रोजाना सुबह उठते खुद से सारा सामान व्हीलचेयर पर लादते, और बस्ती से एक किलोमीटर दूर टेचू सर्कल पर जाकर फुटपाथ पर अपनी दुकान लगाते। इस तरह अपनी जिंदगी का गुजारा करने लगे। इनकी जिंदगी सही से चलना शुरू ही हुई थी की इनके जीवन में एक और समस्या ने दस्तक दे दी।

विधान सभा से टेचू सर्कल तक सामान लेकर जाते हुए दत्ता जी।

दरअसल, घंटों तक बैठे रहने की वजह से दत्ता जी की कमर की रीड की हड्डी में दर्द होना शुरू हो गया। दर्द झेलने की आदत तो इन्हें थी ही इसलिए दत्ता जी ने इस दर्द को इग्नोर किया और दुकान लगाना जारी रखा। लेकिन धीरे-धीरे दर्द बढ़ने लगा। जब ज्यादा दर्द होता तो दर्द की दवा खा लेते। लेकिन ये दर्द इतना बढ़ गया की जीना मुश्किल हो रहा था। दर्द की वजह से इनके पास सोने के अलावा कोई और काम नहीं था। कुछ महीनों के बाद एक दिन व्हील चेयर पर सामान लादते समय इनका ये दर्द इतना बढ़ गया की कमर के ऊपर के पूरे हिस्से में असहनीय दर्द होना शुरू हो गया। आखिरकार दत्ता जी को दुकान की जगह अस्पताल जाना पड़ा। डॉक्टर ने 3 से 4 हजार की महीने भर की दवाइयाँ खाने के लिए इन्हें दी।

टेचू सर्कल पर दुकान लगाते हुए दत्ता जी।

दवाइयाँ खाने से जब दत्ता जी को आराम मिला तो इन्होंने फिर से अपनी दुकान लगाना शुरू कर दी। जैसे ही इनकी दवाइयाँ खत्म हुईं तो कमर का दर्द फिर से शुरू हो गया। डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने फिर से 1 महीने के लिए दवाइयाँ खाने को दे दी और दर्द के इन्जेक्शन भी लगाए। जब तक दवाइयाँ खाते तभी तक इन्हें आराम मिलता दवाईयां बंद करते ही फिर से दर्द होना शुरू हो जाता। इस तरह इनकी जिंदगी फिर से कठिन हो गई। क्योंकि रोजाना 400 से 500 रुपये कमाने वाले दत्ता जी की लगभग आधी कमाई हर महीने दवाइयों में ही जाने लगी। दत्ता जी अपने इस दर्द से राहत पाने के लिए दिन-रात भगवान से प्रार्थना करने लगे। वो कहते हैं न की जब प्रार्थना शिद्दत से की जाए तो ऊपर वाला सहायता के लिए किसी न किसी को जरूर भेजता है। कुछ ऐसा ही हुआ दत्ता जी के साथ।

एक दिन यूट्यूब देखते समय अचानक उन्हें हकीम सुलेमान खान साहब की एक वीडियो नजर आयी। इस वीडियो को पूरा देखने के बाद इन्हें पता चला की हकीम साहब के साथ बहुत सारे लोग जुड़े हुए हैं जिन्हें वर्षों पुराने जोड़ों के दर्द में राहत मिल चुकी है।

जब कई लोगों के इंटरव्यू देखे तो इन्हें उम्मीद की एक किरण दिखाई देने लगी। यूट्यूब से नंबर निकालकर हकीम साहब की संस्था में कॉल किया और संस्था के काबिल डॉक्टरों की टीम से बात करके अपनी पूरी समस्या बताई। इनकी समस्या को सही से सुनने और समझने के बाद डॉक्टरों ने इन्हें गोंद सियाह, जॉइन्ट फॉर्ट और S. Care लेने की सलाह दी।

दत्ता जी ने हकीम साहब के डॉक्टरों द्वारा बताई गई यूनानी जड़ी बूटियों को मँगवाया और सेवन करना शुरू कर दिया। पूरे सात साल तक परेशान होने के बाद सात दिनों में इन्हें इस समस्या में राहत मिलना शुरू हो गई। इन जड़ी बूटियों का सेवन करते हुए 4 से 5 महीने ही हुए हैं इन्हें 80% से ज्यादा आराम मिल चुका है। दत्ता जी ने अपने सारे काम पहले की तरह करना शुरू कर दिए हैं। जब हम इनसे मिले तो इन्होंने हमें बताया “कमर दर्द ने मुझे पूरी तरह से तोड़कर रख दिया था अब हकीम साहब की वजह से फिर से सारे काम पहले की तरह कर पा रहा हूँ। जयपुर में ही अपनी दुकान चलाता हूँ और कुछ त्योहारों जैसे दीपावली और रक्षाबंधन पर अपने घर पर भी चला जाता हूँ।”

दोस्तों ये तो थी दत्ता जी कहानी जो 7 साल तक कमर के दर्द से परेशान रहने के बाद हकीम सुलेमान खान साहब के साथ जुड़े और कमर के दर्द में राहत पाने के बाद फिर से अपनी जिंदगी पहले की तरह जीना शुरू कर दी। अगर आप या फिर आपके पास कोई इस तरह की समस्या से पीड़ित है तो आप भी हकीम साहब से जुड़ कर अपनी समस्या में राहत पा सकते है।

गोंद सियाह के बारे में ?

दरअसल गोंद सियाह को दुनिया से introduce कराने वाले हकीम सुलेमान साहब हैं। जिन्होंने अपने टीवी शोज में, यूट्यूब चैनल्स पर, Facebook पर, और भी अनेकों प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस यूनानी हर्ब के बारे में लोगों को बताकर जागरूक किया है। लाखों करोड़ों लोग घुटनों के दर्द, कमर के दर्द, किसी भी प्रकार के जोड़ों के दर्द और पैरों से लेकर गर्दन तक के दर्द की समस्या में इस हर्ब से फायदा पाने के बाद हकीम सुलेमान साहब का दिल से धन्यवाद करते हैं।

गोंद सियाह का सेवन करने का तरीका: गोंद सियाह को धूप में सुखाने के बाद पाउडर बना लें। सुबह नाश्ते के बाद और रात में खाने के बाद आधा ग्राम गोंद सियाह 1 चम्मच मलाई या फिर शहद में मिलाकर खाएं। क्योंकि ये एक गोंद है जिसे सूखा खाने से ये जीभ और दातों से चिपक सकती है इसके अलावा गोंद सियाह बहुत कड़वा होता है, हो सकता है की आपने इतनी कड़वी चीज पहले कभी न खाई हो। इस कड़बे गोंद के सेवन से आपको भी वर्षों पुराने जोड़ों के दर्द में राहत मिल सकती है।

गोंद सियाह का सेवन करते समय किन बातों का रखें ध्यान: गोंद सियाह का सेवन शुरू करने के कुछ दिनों तक झाड़ू पोंछे पर पाबंदी रखें और फिज़िकल ऐक्टिविटी कम कर दें हो सके तो वेस्टर्न टॉयलेट यानि की कुर्सी वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें।

गोंद सियाह के सेवन से दर्द बढ़ जाए तो क्या करें: गोंद सियाह दर्द की नहीं बल्कि रोग की दवा है। रोग चला जाए तो दर्द अपने आप चला जाता है। 100 में से 1 या 2 पेशेंट ही ऐसे होते हैं जिन्हें शुरूआत में दर्द बढ़ जाता है। अगर किसी को दर्द बढ़ जाए तो परेशान न हों। इन्स्टेन्ट रिलीफ़ के लिए 5 दिन तक सुबह-शाम गोंद सियाह के साथ दर्द की दवा खा सकते हैं। कुछ दिनों में आपको फर्क महसूस होना शुरू हो जाएगा।

असली गोंद सियाह की पहचान कैसे करें: आज कल जिस तरह से हर चीज में मिलावट हो रही है वैसे ही मार्केट में नकली गोंद सियाह भी मिलता है। आपको बाजार में काले रंग का गोंद मिल जाएगा जो देखने में लगभग गोंद सियाह के जैसा ही काला होता है। लेकिन वो गोंद सियाह नहीं एलवा होता है। आप असली गोंद सियाह की पहचान कर सकते हैं क्योंकि एलवा में चमक होती है जबकि गोंद सियाह एकदम कोयले की तरह काला होता है।

क्यों जरूरी है असली गोंद सियाह लेना: गोंद सियाह तो हजारों लोग बेचते हैं और ये आपको सब जगह पर मिल जाएगी लेकिन सबसे जरूरी है असली गोंद सियाह लेना। अगर आप नकली गोंद सियाह लेंगे तो उसकी क्वालिटी सही नहीं होगी जिससे कोई फायदा नहीं होगा उल्टा आपको नुकसान भी हो सकता है।

असली गोंद सियाह कहाँ से मंगवाएं: आप हकीम सुलेमान खान साहब की संस्था में कॉल करके असली गोंद सियाह मँगवा सकते हैं। ये गोंद कालस्कन्ध नाम के पेड़ से निकलता है। जिसकी खेती हकीम सुलेमान खान साहब अपनी देख रेख में करवाते हैं, इनका खुद का जड़ी-बूटी केंद्र है जहां पर जड़ी बूटियों को इकट्ठा करके साफ किया जाता है। बहुत ही ईमानदारी से इस फॉर्मूले को बनाया जाता है। हर एक छोटी से छोटी बात का ध्यान रखा जाता है यही वजह है की इस यूनानी जड़ी बूटी का असर इतना पावरफुल है की लाखों लोगों को सालों पुराने जोड़ों के दर्द में फायदा मिल चुका है।

असली गोंद सियाह मंगाने के दिए गए नंबर पर संपर्क करें।

011 6120 5379

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